hindisamay head


अ+ अ-

कविता

परिभाषा की कविता

मंगलेश डबराल


परिभाषा का अर्थ है चीजों के अनावश्यक विस्तार में न जाकर उन्हें एक या दो पंक्तियों में सीमित कर देना। परिभाषाओं के कारण ही यह संभव हुआ कि हम हाथी जैसे जानवर या गरीबी जैसी बड़ी घटना को दिमाग के छोटे-छोटे खानों में हूबहू रख सकते हैं। स्कूली बच्चे इसी कारण दुनिया के समुद्रों को पहचानते हैं और रसायनिक यौगिकों के लंबे-लंबे नाम पूछने पर तुरंत बता देते हैं।

परिभाषाओं की एक विशेषता यह है कि वे परिभाषित की जाने वाली चीजों से पहले ही बन गई थीं। अत्याचार से पहले अत्याचार की परिभाषा आई। भूख से पहले भूख की परिभाषा जन्म ले चुकी थी। कुछ लोगों ने जब भीख देने के बारे में तय किया तो उसके बाद भिखारी प्रकट हुए।

परिभाषाएँ एक विकल्प की तरह हमारे पास रहती हैं और जीवन को आसान बनाती चलती हैं। मसलन मनुष्य या बादल की परिभाषाएँ याद हों तो मनुष्य को देखने की बहुत जरूरत नहीं रहती और आसमान की ओर आँख उठाए बिना काम चल जाता है। संकट और पतन की  परिभाषाएँ भी इसीलिए बनाई गईं।

जब हम किसी विपत्ति का वर्णन करते हैं या यह बतलाना चाहते हैं कि चीजें किस हालत में हैं तो कहा जाता है कि शब्दों का अपव्यय है। एक आदमी छड़ी से मेज बजाकर कहता है : बंद करो यह पुराण  बताओ परिभाषा।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में मंगलेश डबराल की रचनाएँ